नीलकंठ महादेव में खूब हर्सोलास के साथ सावन के पवित्र माह में कांवड़ियों ने चढ़ाया गंगा जल।
आज ऋषिकेश के नीलकंठ महादेव मंदिर में सावन के पवित्र माह में कावड़ियों ने चढ़ाया गंगाजल भगवान नीलकंठ में मान्यता यह है कि नीलकंठ महादेव मंदिर, जो ऋषिकेश में स्थित है, सावन के महीने में शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है ¹. इस मंदिर की मान्यता और कथा इस प्रकार है:
पौराणिक कथा: समुद्र मंथन से निकली चीजें देवताओं और असुरों में बंटती गईं लेकिन तभी हलाहल नाम का विष निकला, जिसे न तो देवता चाहते थे और ना ही असुर। भगवान शिव ने पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए विष का पान किया था।
विष की उष्णता: विष की उष्णता से बेचैन भगवान शिव शीतलता की खोज में हिमालय की तरफ बढ़ चले गए और वह मणिकूट पर्वत पर पंकजा और मधुमती नदी की शीतलता को देखते हुए नदियों के संगम पर एक वृक्ष के नीचे बैठ गए थे।
नीलकंठ महादेव: विष भगवान शिव के गले में ही अटक गया, जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया और फिर महादेव नीलकंठ कहलाएं। इसी वजह से आज भी इस स्थान को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है।
सावन के महीने का महत्व: सावन के महीने में शिव भक्त आशीर्वाद लेने के लिए शिव मंदिर जाते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।