माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए बधाइयां दी उन्होंने कहा की यूनिफॉर्म सिविल कोड स्वतंत्र भारत में उत्तराखंड यूजीसी लाने वाला प्रथम राज्य है। इस बिल में समानता समरसता और सद्भावना कायम करने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड विविधता में एकता का सूत्र है। समान नागरिक संहिता है एक राष्ट्र एक विधान और एक निशान सब का सम्मान सबका विकास यही भारत का संविधान है।
आज ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में उत्तराखंड में बने यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट के विषय में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता परमार्थ निकेतन आश्रम के महराज चितानंद मुनि ने की उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा प्रदेशवासियों को यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए बधाइयां दी।
ज्ञात हो गया कि समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है जो राज्य की नीति और निर्देशक तत्व के अंतर्गत आता है। जिसमें कहा गया कि राज्य भारत के समस्त राज्य क्षेत्र के नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त करने के लिए प्रयास करेगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म जाति संप्रदाय वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम हो दूसरे शब्दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून का होना है।
यूसीसी लागू करने से राष्ट्रीय अखंडता लैंगिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा यह धार्मिक स्वतंत्रता और विविधता के लिए खतरा नहीं है बल्कि इससे एकता एकरूपता और सद्भाव का वातावरण का निर्माण होता है समान नागरिक संहिता से पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह तलाक विरासत गोद लेने आदि कानून में एकरूपता प्रदान होगी और धार्मिक विभाजन को कम करने के लिए मदद मिलेगी परस्पर विश्वास प्रगति होगा। रूढ़िवादिता के बजाए लोकहित में कार्य होंगे। यूजीसी का परिवर्तन कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करेगा कानून को सरलीकृत करेगा और धर्मनिरपेक्षता के आदर्श का पालन करते हुए लैंगिक न्याय को सुनिश्चित करेगा साथ ही सामान्य और गरिमा के संवैधानिक मूल्यों को स्पष्ट करेगा महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न को दूर करेगा लैंगिक न्याय और एक समानता का अधिकार सुनिश्चित करेगा।
जिस प्रकार स्कूलों में बच्चों की यूनिफॉर्म एक जैसी होती है उसी प्रकार देश में कानून एक जैसा होगा तो एकरूपता आएगी अगर एक ही स्कूल में जाति या धर्म के आधार पर अगर ड्रेस कोड अलग होगा तो देश को होता तो स्कूल का माहौल क्या होता है वही देश पर भी लागू होता है इसलिए यूजीसी की जरूरी है।
अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी इससे वह कम से कम ग्रेजुएट तक पढ़ाई पूरी कर सकेगी वहीं गांव और छोटे शहरों के स्तर के तक शादी को पंजीकृत की सुविधाएं पहुंचाई जाएगी। उत्तराधिकार में बेटा हो और बेटी हो को बराबर हक मिलेगा मुस्लिम बहनों को बच्चे गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा उन्हें हलाला से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा । लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले सभी लोगों को डिस्क्लोजिंग देना पड़ेगा इससे भारतीय संस्कृति बची रहेगी पति और पत्नी में अनबन होने पर उनके बच्चों की कस्टडी दादा-दादी या नाना नानी में से किसी को दी जाएगी बच्चों को अनाथ होने पर अभिभावक बनने की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी।
उच्च एक आधुनिक प्रगतिशील राष्ट्र का संकेत है जिसका अर्थ है कि इससे जातिगत और धार्मिक राजनीति को रोका जा सकेगा लिए भारत की प्रगतिशील राष्ट्र की यात्रा में अपना सहयोग प्रदान करें।