
ऋषिकेश, उत्तराखंड — विस्थापित ऋषिकेश क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। क्षेत्र में शराब की दुकानों को दोबारा खोले जाने की आशंका के बीच पुरुषों और महिलाओं ने एकजुट होकर कड़ा विरोध जताया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले भी शराब की दुकानों ने सामाजिक वातावरण को दूषित किया था और अब वे किसी भी हालत में इन्हें अपने क्षेत्र में वापस नहीं आने देंगे।
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने कहा कि शराब की दुकानों के चलते घरेलू हिंसा, अपराध और सामाजिक विघटन जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हुई थीं। “हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता,” एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा। उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की, तो वे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगी।
पुरुषों ने भी महिलाओं का साथ देते हुए कहा कि क्षेत्र को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि शराब की दुकानों को यहां दोबारा खोलने की योजना को तत्काल रद्द किया जाए। उन्होंने प्रशासन को चेताया कि यदि उनकी आवाज नहीं सुनी गई, तो वे सामूहिक धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है और सरकार से अपील की है कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए विस्थापित क्षेत्र में शराब की दुकानों की स्थापना को रोका जाए।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन को भी सतर्क कर दिया है, और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस मुद्दे पर कोई निर्णायक कदम उठाया जाएगा।
यह विरोध केवल शराब के खिलाफ नहीं, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक संरचना और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा की लड़ाई है — ऐसा मानना है स्थानीय निवासियों का।